” आइंसटाइन के Six Pack Abs नहीं थे, मेरे भी नहीं हैं “
” सफलताएँ अपनी उम्र पूरी करके.. शिक्षाएँ बन जाती हैं “
” जो कुछ नहीं छोड़ सकता वह अंत में कबाड़ के शिखर पर पहुँचता है “

#SidTreeSutra 🌀

चलिए सबसे पहले आपको कुछ सुनाता हूँ
🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻

▶️ आज मैंने खुद को एक फूल 🌹दिया है
जो टूटा था, बिखरा था, जोड़ा है, जिया है

ज़िंदगी के तारामंडल को देखने का एक प्रयास, आसपास के साधारण में, नये कोण और आयाम

ये तितली मेरी घरेलू लाइब्रेरी की जिस किताब पर बैठेगी, उसे आपसे शेयर करता रहूँगा

लेखन की एक कच्ची+सच्ची Raw Feed, इसे एक सार्वजनिक Log Book कह सकते हैं


नियंत्रित आलस्य = आभूषण

हफ़्ते में कम से कम एक बार आलस्य के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करता हूँ… आलस्य को इस मशीनी युग ने बुरा ही माना है.. लेकिन नियंत्रित आलस्य.. आभूषण के समान होता है.. क्योंकि ये बोरियत देता है… सोचने का समय देता है… और बोरियत से भरी उर्वर सोच में ही… नये विचार जन्म लेते हैं… इसीलिए..

” समय कवियों का दास होता है…
घड़ी की सुइयाँ कवि की मालिश करती हैं “


🔻 SidTreeOriginals® : सुभाषित ! 🔻

01


चिड़ियाघर का शेर

चिड़ियाघर के शेर को हर चीज़ अपनी गुफा में चाहिए होती है। ज़हर पर धनिया डालकर गुफा में पहुँचा दो… तो वो भी खा लेगा..!

02


रेल के इंजन से न टकराना

रेल के इंजन से टकराना नहीं चाहिए… आवेश शत्रु को घायल नहीं करता… जबकि प्रतीक्षा पहाड़ों को भी झुका देती है….. इसीलिए प्रतीक्षा सबसे बड़ा अस्त्र होती है… प्रतीक्षा के बाद आप ये देखते हैं कि रेल का इंजन अपनी पटरी से बंधा है, उसी पर चलने को विवश है.. और आप स्वच्छंद हैं..!

03


माँ का लेंस

टीवी = माँ … जो माँ को पसंद आए.. उसमें अच्छा प्रोडक्ट बनने की संभावनाएँ होती हैं… माँ का लेंस, वो नज़र है… जो उलझी हुई प्रस्तुति को सरल बना देता है… माँ से जुड़ी एक सीख ये भी है कि मां बनने की भी एक उम्र होती है.. एक उम्र से पहले न मातृत्व अच्छा है.. न नेतृत्व..!

04


आँकड़े किसी के सगे नहीं

आँकड़े किसी के सगे नहीं होते, इनको जिस तरह तोड़ो मरोड़ो उसी तरह के नतीजे दिखाते हैं। आपकी जीत के आँकड़ों को भी आपकी पराजय का हार बनाकर पहनाया जा सकता है… इसलिए कई बार सफलता और बर्बादी एक साथ भी आ जाते हैं..!

Video Poetic

Flower to Myself
Artist
Oxygen
Mother

” अब घरों में वो नींद नहीं आती
जो होती है बिलकुल मौत जैसी
हर पल मन में आहट सी रहती है
दफ़्तर से पूरी तरह छूट नहीं पाते
और ना पहुँच पाते हैं घर पूरी तरह
फ़ोन की स्क्रीन की तरह
चौकन्ने होकर सोते हैं
और सुबह देर तक
आँख बंद करके जागते रहते हैं “

दृश्य का रक्तस्नान

जिनके स्वप्न शालीन नहीं है
वो उन्हीं की आँखों में
टूटे हुए काँच की भाँति चुभते हैं
पलक की हर झपक
दृश्य को रक्तस्नान करवाती है